Sunday, December 26, 2010

ज्यादातर पत्रकार भड़वे हैं

यदि तुम लोग सबको पत्रकार समझते हो तो ये बात बहुत ही गलत है क्योंकि हमारी नजर में तो तुम (श्रीगंगानगर वाले) पत्रकार नहीं हो। यह पत्रकारिता तो नहीं होती कि टांटिया या सिहाग अस्पताल वालों के छापे पड़े और पत्रिका के साथ ही बाकी अखबारों में इनका नाम न छपे। कई बार तो गुस्सा आता है कि सारे अखबार वालों के दफ्तर के आग लगा दूं क्योंकि तुम्हारे मालिक सबसे बड़े चोर हैं। तुम लोग उनके लिए वसूली करते हो और वे अपने महल बनाते हैं। तुम्हारी हालत वैसी की वैसी पड़ी है, यह भी सब जानते हैं। कुछ पत्रकार तो वास्तव में ठीक हैं तथा वे ईमानदार हैं परंतु ज्यादातर पत्रकार भड़वे हैं। 
हम कई बार आपस में बातें करते हैं कि गंगानगर में कुछ ऐसे असामाजिक तत्व हैं, जो खुद को नेता मानते हैं लेकिन जनता नहीं। वे लोग जब कोई हरकत करते हैं तो पत्रकार उन्हें हवा में चढ़ा देते हैं और उनकी बड़ी-बड़ी खबरें छापते हैं। वो घटिया लोग रास्ते रोकते हैं, टंकी पर चढ़ते हैं, कल्याण भूमि में लड़ते हैं, लोगों को पिटवाते हैं और हाय-हाय करते हैं। पुलिस वाले और सरकार वाले भी कमीने हैं जो वे उन पर मुकदमा दर्ज करने के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। राजवीर गंगानगर जिसको कल तक कोई जानता नहीं था, अखवार वालों को रुपए खिला दिए कि वे उसकी ही खबर छापते हैं वो चाहे गलत करे या सही, अखबार वालों का मानना है कि यही सही है। टिम्मा और जयदीप से सारे अखबार वाले डरते हैं इसलिए तो उनकी खबर नहीं छापते। पत्रकार तो ऐसे हैं जिनको जब मरजी प्रेस कानफे्रंस बुलाओ, उनको छोटा सा फरजी सा गिफ्ट देकर कोई भी खबर छपवा लो। कई तो टुकड़ों पर भी खबर छाप देते हैं। मैं भी एक संगठन से जुड़ा हुआ हूं, इसलिए यह तो अनुभव है। एक पत्रकार ने तो मेरे से मोटरसाइकिल की टंकी फुल करवाई और वह बेसरम एक दिन घर पर दिवाली के दिन पटाखे भी मांगने आ गया था।


नोट - इस संगठन वाले भाई ने पत्रकारों की कुछ और पोल खोली थी, लेकिन वह नाम-सहित थी, इसलिए उसे प्रकाशित नहीं किया जा रहा। बिना वास्तविक तथ्यों के ऐसा संभव नहीं, क्योंकि कोई किसी पर झूठा आरोप भी लगा सकता है। हां, यदि संगठन वाले भाई ने अपना नाम सार्वजनिक करने की अनुमति दी होती तो फिर अक्षरस: प्रकाशित कर पाना संभव था। 

हनुमानगढ़ पत्रिका- भास्कर में घमासान

हनुमानगढ़ में इन दिनों पत्रिका- भास्कर में खूब घमासान मचा हुआ है | दोनों अखबारों गंगानगर से अलग  ''हनुमानगढ़-संस्करण'' शुरू कर दिए है | प्रसार,विज्ञापन से ज्यादा इन दिनों समाचारों को लेकर जंग छिड़ी हुई है | दोनों के कार्यालयों में सम्पादक-मंडल में करीब 8 -9 पत्रकार होने के बावजूद भी अन्य अखबारों के पत्रकारों से भी सहयोग लिया जा रहा है | हालात ऐसे हो गए है की   पत्रिका- भास्कर के पत्रकारों को सुबह होने के इंतजार में  आजकल रात को नींद भी ढंग से नहीं आती है | कुछ तो 4 बजते ही गेट पर खड़े होकर होकर का इंतजार करने लग जाते है | उनका बस चले तो वे गंगानगर से आती  अख़बार ढ़ोने  वाली जीप के सामने ही चले जाये | कारण सिर्फ एक है वो है ''डर''  |  डर लगता है उन्हें की कही कोई समाचार छुट न जाये | क्राइम,कोर्ट,विभाग से लेकर सभी प्रकार के समाचारो के अलावाविशेस समाचारो (स्टोरी) पर भी ध्यान देना पड़ रहा है |  नारद जी को पता चला है की पिछले दिनों एक ही दिन में पत्रिका ने दो बड़े कोर्ट के समाचार छोड़ दिए जो भास्कर ने छाप दिए | इस पर पत्रिका ब्यूरो-चीफ को गंगानगर और जयपुर से खूब करी-खोटी सुननी पड़ी  |



सूत्र - नारद जी को हनुमानगढ़ से मिली एक मेल के अनुसार 

Saturday, December 18, 2010

भास्कर में घमासान

चर्चा है कि इन दिनों श्रीगंगानगर भास्कर में परदेसियों और लॉकल वालों में जमकर घमासान मचा हुआ है। परदेसी अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जानकारी के अनुसार कार्य कर रहे हैं, जबकि लॉकल वाले चाहते हैं कि उनकी बराबर पूछ होती रहे। लॉकल वालों को अपेक्षा है कि परदेसी उनके अहसान तले काम करें, जबकि परेदसी उनकी उपेक्षा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। छोड़े भी क्यों, जब वे उनसे अधिक काबिल और बेहतर हों। लॉकल वाले, खासकर कथित सिटी रिपोर्टर और संपादक (सुधीर मिश्रा नहीं) इन दिनों परदेसियों से बेहद परेशान हैं और आए दिन अच्छी-खासी झड़प भी हो जाती है। एक दिन तो सुबह की बैठक में परदेसी इतने हावी हुए कि लॉकल वाले एक-दूसरे का मुंह तकते रह गए। ध्यान रहे, श्रीगंगानगर भास्कर में कई परदेसी बंधू इन दिनों सेवाएं दे रहे हैं, जिनसे लॉकल वाले खार खाए बैठे हैं। 


सूत्र - नारद जी को एक समाचार-पत्र के कार्यालय से मिली एक मेल के अनुसार 

Monday, December 13, 2010

पत्रकारों ने किया अधिकारी का सम्मान

हनुमानगढ़। राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ जिला इकाई हनुमानगढ द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिलीप जाखड के जोधपुर स्थानांतरण पर उनका सम्मान किया गया। हनुमानगढ टाउन के होटल श्रीनाथ में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों ने दिलीप जाखड के एक वर्ष के कार्यकाल में भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर उनके द्वारा की गई कार्यवाही की सराहना की और कहा कि इससे आमजन में भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठाने का जजबा पैदा हुआ है। कार्यक्रम में राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष अनिल जांदू ने श्री जाखड के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उनसे आगे भी इसी तरह के कार्यकाल की उपेक्षा की। इसके अलावा जिला महासचिव राजु रामगढिय़ा ने कहा कि श्री जाखड के कार्यकाल में एक वर्ष में रिकॉर्ड कार्यवाहियां हुई जिससे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों में भय व्याप्त है। इसी प्रकार जिला कोषाध्यक्ष जगदीश गुप्ता, गुलाम नबी, विनीत बिश्रोई, संजीव शर्मा, विकास भठेजा आदि ने भी श्री जाखड के कार्यकाल को उल्लेखनीय बताते हुए उनके कार्यकाल की सराहना की। 

प्रभु चावला की विदाई

प्रसिद्ध पत्रकार और संपादक इंडिया टुडे समूह के संपादक प्रभु चावला को इस ग्रुप से विदाई मिल गई है तथा उन्होंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र ज्वाइन करने का मानस बनाया है। चावला ने इंडिया टुडे पत्रिका में 14 वर्षों तक संपादकीय निदेशक के तौर पर कार्य किया। प्रभु चावला ने अपना कॅरियर इंडिया टुडे के साथ शुरू किया था और फिर इंडियन एक्सप्रेस में शामिल हुए। उसके बाद वे फिर से इंडिया टुडे में शामिल हो गए थे। मीडिया गलियारों में चर्चा ये भी है कि उन्हें पिछले दिनों उपजे विवादों के बाद बाहर जाने का संकेत दे दिया गया था।

कलेक्टर को पत्रकारों की फटकार

दो साल की कथित उपलब्धियां गिनवा रही सरकार से श्रीगंगानगर के पत्रकार खुश नहीं है। तभी तो आज (13 दिसंबर) कुछ पत्रकारों ने पीआरओ ऑफिस में कलेक्टर को जमकर लताड़ पिलाई और उन्हें तथा यूआईटी सचिव को खूब खरी खौटी सुनाई। इस मौके पर जब पत्रकारों ने सरकार के कार्यकाल पर प्रश्नचिन्ह लगाए तो पास में खड़े कांगे्रसी नेता बगलें झांकने लगे। पता चला है कि पत्रकारों ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन कलेक्टर द्वारा दो माह का आश्वासन दिए जाने के बाद कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। पत्रकारों ने कलेक्टर का घेराव व मुख्यमंत्री का विरोध भूखंड को लेकर किया।

Wednesday, December 8, 2010

नागपाल पत्रिका से भास्कर में

हाल ही वैवाहिक बंधन में बंधे जयपुर पत्रिका में कार्यरत दीपक नागपाल ने पत्रिका से किनारा कर श्रीगंगानगर भास्कर का दामन थाम लिया है। हालांकि उनकी नियुक्ति कृष्ण आशु की जगह तय मानी जा रही थी लेकिन फिलहाल आशु के भास्कर छोडऩे की संभावना कम है, लिहाजा दीपक की नियुक्ति को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।

बिश्नोई-सहारण ने भास्कर को त्यागा

हनुमानगढ़ भास्कर में कार्यरत सुभाष बिश्नोई तथा राकेश सहारण ने भास्कर से किनारा कर लिया है। फिलवक्त जानकारी मिली है कि उन्होंने अपने निजी व्यवसाय के चलते ये कदम उठाया है। वहीं सूत्रों का दावा है कि वे जल्द ही पत्रिका में ज्वाइनिंग कर सकते हैं।  

रितेश~पूजा को बधाई

श्रीगंगानगर भास्कर के उपसंपादक रितेश मिश्रा तथा वरिष्ठ पत्रकार सुंदर मिश्रा के सुपुत्र का रिश्ता जोधपुर भास्कर में कार्यरत ताराचंद नागर की सुपुत्री पूजा के साथ तय हुआ है। रितेश व उनके पिता सुंदर मिश्रा और ताराचंद जी व उनकी सुपुत्री पूजा को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

Tuesday, December 7, 2010

जैन का मोहभंग

शहर के प्रतिष्ठित एवं बेहद ईमानदार छवि के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार जैन ने पत्रिका से त्यागपत्र देकर अपना समाचार पत्र शुरू करने की तैयारी की थी। आरएनआई से गंगा दर्शन के लिए स्वीकृति भी मिल चुकी थी और उनके साथ वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण आशु भी भास्कर छोड़कर आने वाले थे। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उनका ये प्रोजेक्ट स्थगित हो चुका है तथा जैन अब अपना व्यापार संभालने की सोच रहे हैं। 

जसवंत की विदाई

शहर के तेजतर्रार और जाने-माने पत्रकार जसवंत सुथार को प्रशांत ज्योति से विदाई दे दी गई है तथा वहां पर भास्कर से विदा होकर आए मनीष मुंजाल ने कार्यभार संभाल लिया है। सुथार ने अपनी नई पारी सीमा किरण से शुरू की है, हालांकि सीमा किरण उनके काबिल समाचार पत्र नहीं है और शायद यही वजह है कि उनके समाचार सांध्यकालीन समाचार पत्र फाइटर में भी दिखाई देते हैं। सुथार के सूत्र शहर के कोने-कोने में विराजमान हैं तथा वे खुद सभी पत्रकारों के सूत्र हैं। उनकी पुलिस, अस्पताल एवं ग्रामीण इलाकों पर अच्छी पकड़ है। 

चौहान की खुशी

संदीपसिंह धामू के पत्रिका छोडऩे का भले ही किसी को अफसोस या खुशी हो, लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा ग्रामीण अंचल से निकले और भास्कर से जुदा हुए पत्रकार कृष्णसिंह चौहान को, जिन्होंने सीमासंदेश व सांध्य बोर्डर छोड़कर पत्रिका ज्वाइन कर लिया है। चौहान ग्रामीण इलाके के विशेषज्ञ हैं तथा गांवों से जुड़ी खबरों पर ही ध्यान देते हैं। वे अपनी बिरादरी के एक संगठन पर भी उच्च पद पर हैं तथा वे पत्रकारिता में एक उच्चस्तरीय पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। 

एक दिन पत्रिका में

श्रीगंगानगर,  हमारे साथी संदीपसिंह धामू भास्कर छोड़कर पत्रिका में ज्वाइन कर चुके थे, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी पत्रिका में पटरी नहीं बैठी और पत्रिका में एक दिन कार्य करने के बाद वे फिर से भास्कर में पहुंच गए हैं। चर्चा है कि वे अब भास्कर प्रबंधन की नजरों में चढ़ चुके हैं और समय आने पर उन्हें 'निपटाया' भी जा सकता है। वैसे धामू बेहद मिलनसार व कर्मठ रिपोर्टर हैं तथा वे काम के अलावा इधर-उधर की राजनीति पर ध्यान नहीं देते। आशा है उन्हें भास्कर स्टाफ व प्रबंधन पहले जितनी ही तव्वजो देगा।